जल बरबाद न कीजिये, जानें इसका मोल।
सोच समझ नल खोलिए, बूँद-बूँद अनमोल।
क्या रह सकते हम कभी, बिन पानी दिन एक?
खुद से उत्तर माँगिए, करके प्रश्न अनेक।
बादल रूठे जब हुआ, पानी अंतर्ध्यान।
बूँदों की खातिर किए, यज्ञ, हवन, तप, दान।
जल बिन रूखे भोज्य हैं, जल बिन कैसा राज।
रक्षण एक उपाय ही, समाधान है आज।
जल के स्रोत अनंत हैं, संरक्षण है खास।
जगाइए जन चेतना, बुझे देश की प्यास।
अगर प्रदूषण दूर हो, रहे सजग संसार।
इन्द्र्देव राज़ी रहें, बरसें मेघ अपार।
-कल्पना रामानी
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